भांग और होली का चोली दामन का साथ सदियों से।

 होली में भांग पीने की परंपरा क्यों, जानें क्या कहता है धर्म।
वैसे तो नशा करना बुरा माना जाता है लेकिन शिवरात्रि पर भगवान शिव के प्रसाद के रूप में कई लोग इसका पान करते हैं। शिवरात्रि से शुरू हुआ सिलसिला होली में भी चलता रहता है। होली पर भी भांग ग्रहण करने का प्रचलन है। माना जाता है कि होली  के रंग में जब भांग का नशा शामिल होता है तो होली खेलने वालों का आनंद कई गुणा बढ़ जाता है। जबकि अलग-अलग धर्मों में भंग को लेकर तरह-तरह की विचारधाराएं है। हिंदू धर्म में भांग को शिवजी से जोड़कर वर्णन किया गया है। होली में भांग पीने की वजह भी भगवान शिव के एक अवतार से संबंधित है। आइए जानें होली के रंग में भांग को क्यों शामिल किया जाता है?
होली की मस्ती और भांग की धूम
होली के दिन बड़े-बड़े सार्वजनिक समारोहों का आयोजन किया जाता है, जहां लोक संगीत के साथ ही पुराने-पुराने बॉलिवुड गानों पर लोग थिरकते हैं और होली का जश्न मनाते हैं। इस जश्न में डांस, कलर और म्यूजिक के साथ चौथी सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है भांग। जी हां, भांग के बिना होली की मस्ती अधूरी रहती है।
कैसे बनाते हैं भांग?
भांग का पेय तैयार करने में बादाम, पिस्ता, चीनी, दूध और भांग के पौधे के पत्तों को पीसकर बनाया गया काढ़ा मिलाया जाता है। इसके बाद जो स्वादिष्ट ड्रिंक तैयार होती है, वह न केवल मन को खुश करती है बल्कि पेट के लिए जादू का काम करती है। क्योंकि होली के समय पर जो गरिष्ठ भोजन हम करते हैं, खूब डीप फ्राइड चीजें खाते हैं, उन सभी के पाचन में भांग मददगार होती है।
भांग और भारतीय संस्कृति।
भांग एक पारंपरिक भारतीय अफीम है, जिसे जिसे भांग के पौधे की कलियों और पत्तियों से तैयार किया जाता है। धार्मिक और ऐतिहासिक प्रसंगों में भारत में बड़ी मात्रा में भांग की खपत की बातें सामने आती हैं। हालांकि भांग की सबसे अधिक खपत और समाज में सेवन खसखस, बादाम, पिस्ता और गुलाब की पंखुड़ियों के साथ बने पेय के रूप में होता है।
कैसे करते हैं भांग का सेवन?
यह आमतौर पर दूध या दही के साथ मिलाकर तैयार किए गए पेय के रूप में भाग का उपयोग किय जाता है, जिसे ‘भांग की ठंडाई’ या ‘भांग की लस्सी’ के रूप में जाना जाता है। हालांकि कुछ लोग भांग का उपयोग स्मोकिंग और भांग की गोली के रूप में भी करते हैं। ‘भांग की लस्सी’ या भांग मिल्कशेक देश में खाए जाने वाली भांग का सबसे लोकप्रिय रूप है। वर्तमान समय में भांग का विशेष रूप से उपयोग धार्मिक पर्वों जैसे, शिवरात्रि और होली पर बड़े स्तर पर किया जाता है। यहां तक ​​कि जो पर्यटक होली मनाने के लिए भारत आते हैं, वे भांग की लोकप्रियता आकर्षित होते हैं और इसे पिए बिना नहीं रह पाते।
भांग का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में भांग का संबंध सीधे रूप में भगवान शिव शंकर से है। जबकि देवताओं की चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में भांग का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। प्राचीन हिंदू पवित्र ग्रंथ अथर्ववेद में, भांग के पौधे को पृथ्वी के पांच सबसे पवित्र पौधों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है। इसे “खुशी का स्रोत” या “खुशी देने वाले पौधे” के रूप में भी जाना जाता है।
इस्लाम में भांग का महत्व।
हालांकि, मुसलमानों का एक वर्ग नशा करने से मना करता है और इस्लाम में नशा करना मान्य नहीं है। लेकिन मुसलमानों के एक बड़े वर्ग द्वारा भांग का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है। यूनानी चिकित्सा पद्धति, जिसे मुसलमानों द्वारा अपनाया गया है। इसमें भी भांग के पौधे को तंत्रिका-तंत्र की बीमारियों के इलाज के साथ-साथ ऐंठन और दर्द के इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है।
सिख धर्म और भांग।
सिख धर्म के इतिहास में भी भांग के पौधे को मिली स्वीकार्यता दिखती है। सिख सैनिक युद्ध में घायल होने के बाद घावों को ठीक करने और घावों के दर्द को कम करने के लिए औषधि के रूप में अलग-अलग तरह से भांग का उपयोग किया करते थे। विशेष रूप से इसका उपयोग घावों को सुन्न करने के लिए किया जाता था। भांग के पौधे को औषधि रूप में उपयोग करने की इस परंपरा के अवशेष निहंग सिख संप्रदाय के लोगों में किसी-किसी अवसर के दौरान देखने को मिलते हैं।
होली पर भंग की मस्ती क्यों।
होली को मस्ती और आनंद का त्योहार माना जाता है। भांग का संबंध हिंदू धर्म में उत्साह और शिव की बूटी के रूप में है। भांग और धतूरे के सेवन से भगवान शिव हलाहल विष के प्रभाव से मुक्त हुए थै। होली के अवसर और भगवान हर और हरि को याद करते हुए लोग भंग का सेवन करते हैं। जबकि इसकी एक बड़ी वजह यह है भांग एक औषधि है जो पाचक का काम करता है। होली के अवसर पर लोग गरिष्ठ भोजन कर लेते हैं। इसे पचाने के लिए भी लोग भांग का सेवन करते हैं।