कहानी हनुमा विहारी के क्रिकेटर बनने की, जिनके पिता ने उनके लिए परिवार तक छोड़ दिया था।
हनुमान विहरी ने टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 104 रन बनाकर सुर्खियों में आ गए।
जब हनुमान 12 साल का था तब उसके पिता गुजर गए, तब से ही उसने सोच रखा था कि जब भी पहली इंटरनैशनल सेंचुरी मरेगा तो उसे पिता को डेडिकेट करेगा।
हनुमा विहारी अपना पहला शतक मारने के बाद भावुक हो गए थे.
हनुमा के पिता का नाम जी. सत्यनारायण था. पेशे से इंजीनियर. तेलंगाना की सिंगरेनी कोल फील्ड में नौकरी थी. मनुगुरु में पूरा परिवार रहता था. हनुमा, उनकी बड़ी बहन वैष्णवी और मां-पापा. हनुमा ने इसी सिंगरेनी के स्टाफ कॉलोनी में क्रिकेट का बल्ला उठाना सीखा. क्रिकेट का चस्का बढ़ाने का काम किया उनके चाचा आर. प्रसाद ने. जो पेशे से सॉफ्टवेयर प्रफेशनल थे. रही-सही कसर उनकी मां विजयलक्ष्मी ने पूरी कर दी. कोई मैच हो, हनुमा अपनी मां के साथ टीवी के सामने मिलते. खाने की टेबल पर चाचा और मां के साथ क्रिकेटर्स की चर्चा. मेन फोकस वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ पर. कैसे लक्ष्मण ऑस्ट्रेलिया के सभी तीस मार खां बॉलरों को बेमुरव्वत मार उड़ा रहे हैं. द्रविड़ तो फिर द्रविड़ हैं हीं. समय का फेर देखिए, अब इन्हीं दोनों महान खिलाड़ियों का अक्स कई लोगों को हनुमा में दिखने भी लगा है.
हनुमा के पिता का त्याग
हालांकि सिंगरेनी स्टाफ कॉलोनी में हनुमा द्रविड़ या लक्ष्मण को सिर्फ देख सकते थे. उनके जैसा बनना नामुमकिन था. चाचा प्रसाद ने पिता सत्यनारायण को हनुमा को आगे की ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद भेजने के लिए मना लिया. तब हनुमा की उम्र महज आठ साल थी. हनुमा को कोई दिक्कत न हो, इसके लिए पिता ने उनकी मां और बहन को भी साथ हैदराबाद भेज दिया. खुद अकेले रहने का फैसला किया. चाचा ने सेंट जॉन एकेडमी में हनुमा का एडमिशन कराया. यहीं हनुमा को मिले उनके पहले कोच आर श्रीधर. और यहीं से हनुमा का क्रिकेट करियर दौड़ने लगा. वो अपने स्कूल की तरफ से अंडर-13 खेले. रन बनाए. फिर हैदराबाद के लिए अंडर 19 खेले. यहां भी चमके. 2016 में वो आंघ्र की टीम के लिए खेलने लगे. हनुमा 2012 में अंडर-19 वर्ल्डकप जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रहे. यहां किस्मत ने उनका साथ दिया क्योंकि ऑस्ट्रेलिया जाने से ठीक पहले मनन वोहरा के अंगूठे में फ्रैक्चर हो गया था और उन्हें जगह मिल गई. 2014-15 में वो इंग्लैंड गए. क्लब क्रिकेट खेलने. हटन क्रिकेट क्लब की तरफ से उन्होंने 6 शतक लगा अपना लोहा मनवाया.
स्टीव स्मिथ से भी आगे
डोमेस्टिक क्रिकेट में तो उनका बल्ला जमके बोल ही रहा था. फर्स्ट क्लास की 117 इनिंग्स में उनके 6108 रन हैं. 59.30 का एवरेज. ये डोमेस्टिक क्रिकेट में फिलहाल खेल रहे क्रिकेटर्स में बेस्ट एवरेज है. दूसरे नंबर पर स्टीव स्मिथ हैं जिनका 57.27 का एवरेज रहा है. 2017-18 के डोमेस्टिक सीजन में भी विहारी ने 94 के एवरेज से 6 मैचों में 752 रन बनाए. इसमें ओडिसा के खिलाफ 302 रन की नाबाद पारी. फिर रेस्ट ऑफ इंडिया की तरफ से खेलते हुए रणजी चैंपियन विदर्भ की टीम के खिलाफ खेली गई 183 रनों की पारी ने उनको सेलेक्टरों की नजर में ला दिया. सितंबर 2018 में टीम इंडिया इंग्लैंड खेलने गई तो उनको भी टीम में जगह मिल गई. सीरीज के पांचवें टेस्ट में वो अपना डेब्यू करने उतरे और शानदार 56 रन बनाए. टीम मैच जरूर हार गई. मगर विहारी अपनी जगह पक्की कर चुके थे.
डोमेस्टिक में छाए हुए थे हनुमा.
पहले टेस्ट के बाद कप्तान विराट कोहली भी उनकी तारीफ करते दिखे. रोहित शर्मा के ऊपर उनको तवज्जो देने का भी जवाब दिया. कहा – हनुमा को लेने पर टीम ज्यादा बैलेंस रहती है. वजह हनुमा का ऑफ स्पिनर होना भी है. वो जरूरत पड़ने पर गेंद भी डाल सकते हैं. खैर कोहली ये सब न भी बोलते तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. क्योंकि जिसका बोलना ज्यादा जरूरी था माने हनुमा का बल्ला वो बोल चुका था और बोलता जा रहा है. उम्मीद करते हैं ये आगे भी ऐसे ही बोलता रहेगा।