दुनिया के सबसे अमीर आदमी बने एलन मस्क की कहानी, 12 की उम्र में बना कर बेच दिया था पहला गेम

 दुनिया के सबसे अमीर आदमी बने एलन मस्क की कहानी, 12 की उम्र में बना कर बेच दिया था पहला गेम


Elon Musk (एलन मस्क) दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन गए हैं. इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला इंक (Tesla Inc.) और स्पेसएक्स (SpaceX) के सीईओ हैं एलन मस्क (Elon Musk). (Elon Musk is the richest person on earth)

गुरुवार को टेस्ला के शेयरों में 7.94 फ़ीसदी की उछाल के बाद Musk Amazon के फाउंडर जेफ बेजोस (Jeff Bezos) को पछाड़कर दुनिया के अमीर शख़्स बन गए. 

Bloomberg Billionaires Index के मुताबिक, मस्क की नेटवर्थ को 195 अरब डॉलर (करीब 14,23,500 करोड़ रुपये) पहुंच गई। बेजोस अक्टूबर 2017 से दुनिया के सबसे बड़े रईस की कुर्सी पर थे और इस समय उनकी नेटवर्थ 185 अरब डॉलर है. वह संभवतः दुनिया में सबसे तेजी से कमाई करने वाले शख्स हैं. मस्क ने पिछले एक साल के दौरान हर घंटे 1.736 करोड़ डॉलर यानी करीब 127 करोड़ रुपये कमाए. इसकी वजह यह है कि दुनिया की सबसे मूल्यवान ऑटो कंपनी टेस्ला के शेयरों में अभूतपूर्व तेजी आई है. लगातार प्रॉफिट और प्रतिष्ठित एसएंडपी 500 इंडेक्स (S&P Index) में शामिल होने से पिछले साल कंपनी के शेयर 743 फीसदी चढ़ा. टेस्ला का शेयर 816 डॉलर के ऑल टाइम हाई पर ट्रेड कर रहा था. 

Elon Musk ने 12 वर्ष की उम्र में ही BLASTER नाम का एक गेम बनाया. इस गेम को उन्होंने [ PC & Office Technology Company ] को 500 डॉलर में बेच दिया. BLASTER गेम को उन्होंने commodore vic 20 नाम के computer से बनाया था. इस गेम का Online Version आज भी इंटरनेट पर मौजूद है.  

Elon Musk एक दिन में 12 घंटे से ज्यादा समय किताबे पढ़ने में बिताते हैं.

1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ और बांग्लादेश बना. इसी साल इलॉन मस्क का जन्म हुआ. 28 जून, 1971. साउथ अफ्रीका के प्रिटोरिया शहर में इलॉन मस्क पैदा हुए. इनकी मम्मी मे मस्क एक मॉडल थीं. और पापा इरॉल मस्क इंजीनियर थे.

इलॉन बचपन से ही अलग टाइप के थे. अपने में खोए रहने वाले. जब ये कुछ सोच रहे होते थे और कोई कुछ कहता था तो इनके कानों में जूं भी नहीं रेंगती थी. इनके मम्मी-पापा को लगता कि ये बहरा हो गया है. इलॉन बताते हैं कि ये सबसे अच्छा टाइम हुआ करता था.

बुरा वक्त इलॉन का इंतज़ार कर रहा था. आगे चलकर मम्मी-पापा का डिवॉर्स हो गया. इलॉन ने पापा के साथ रहना चुना. पिता के साथ उनका अनुभव बुरा रहा. वो एक अच्छे पिता नहीं थे. इधर घर में इलॉन पर ध्यान देने वाला कोई नहीं था, उधर स्कूल में इन्हें बुली किया जाने लगा. साथ के बच्चे इन्हें खूब परेशान करते थे. एक बार स्कूल के लौंडों ने इलॉन मस्क को ऐसा मारा कि हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा.

इन सबसे दूर इलॉन मस्क को किताबों का आसरा मिला. बचपन से किताबें पढ़ने का चस्का था. इनकी याददाश्त भी बहुत कमाल थी. फोटोग्राफिक मेमोरी. एक बार कोई चीज़ पढ़ ली, तो दिमाग में छप जाती थी. जब पढ़ने को आसपास की किताबें कम पड़ गईं, तो मस्क ने पूरा एन्साइक्लोपीडिया चाट मारा.

किताबों के साथ मस्क का ध्यान कंप्यूटर की ओर गया. दस की उम्र में कंप्यूटर कोडिंग सीखने लगे. 12 साल के इलॉन ने एक कंप्यूटर गेम बना डाला. इस गेम का नाम था ब्लास्टर. इलॉन मस्क ने इस गेम को एक मैग्ज़ीन को बेचकर 500 डॉलर कमाए.जब 17 के हुए को साउथ अफ्रीका छोड़ने का मन बना लिया. साउथ अफ्रीका में मिलिटरी सर्विस कंपलसरी हुआ करती थी. इससे बचने के लिए इलॉन कैनेडा चले गए. यहां क्वीन्स यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. लेकिन इलॉन अमेरिका जाना चाहते थे. कैनेडा वहां जाने का ज़रिया भर था. मस्क ने बाद में यूनिर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया में ट्रांसफर करा लिया. जब यहां से पास हुए, तो उनके हाथ में दो डिग्री थी. फिज़िक्स और इकॉनमिक्स.इसके बाद इलॉन मस्क पीएचडी करने स्टैनफर्ड यूनिर्सिटी पहुंचे. लेकिन मन में कुछ और ही चल रहा था. दो दिन बाद पीएचडी छोड़ दी. दुनिया में उस वक्त इंटरनेट अपने पांव जमा रहा था. इलॉन अपने छोटे भाई किंबल मस्क के साथ इंटरनेट की दुनिया में कूद गए. इसके लिए मस्क ने पापा से पैसे लिए और अपने छोटे भाई के साथ मिलकर Zip2 नाम की सॉफ्टवेयर कंपनी बनाई. इस कंपनी को कॉम्पेक ने खरीद लिया. मस्क को 22 मिलियन डॉलर (अभी के हिसाब से करीब 161 करोड़ रुपये) मिले.

इस पैसे से इन्होंने X.com नाम की कंपनी शुरू कर दी. ये तब की शुरुआती ऑनलाइन बैंकिंग कंपनियों में से थीं. यही कंपनी बाद में चलकर Paypal बनी. 2002 में इस कंपनी को eBay को बेच दिया. इससे मस्क को US$165 million (अभी के हिसाब से करीब 1200 करोड़ रुपये) मिले. इस पैसे को लेकर मस्क अय्याशी से रह सकते थे, लेकिन इनका दिमाग मंगल की परिक्रमा करने लगा. इलॉन को हमेशा से ही साइंस-फिक्शन बहुत पसंद थे. अब वो इन कल्पनाओं को हकीकत बनाने की तरफ चल दिए.

2001 में मार्स ओएसिस का आइडिया आया. प्रयोग के तौर पर पृथ्वी से मंगल ग्रह पर ग्रीनहाउस भेजा जाए. वहां पौधे उगाए जाएं. लेकिन अंतरिक्ष में कूच करने के लिए रॉकेट की ज़रूरत होती है. मस्क को पता चला कि रूस से सस्ते रॉकेट जुगाड़े जा सकते हैं. इसी सिलसिले में वो 2001 में में रूस गए. लेकिन वहां मस्क को नए लौंडे की तरह देखा गया. और हल्के में ले लिया.

2002 में मस्क दोबारा रशिया पहुंचे. तीन ICBM खरीदने के मकसद से. इंटर कॉन्टिनेंट बैलेस्टिक मिसाइल. इन पुरानी मिसाइलों को रॉकेट की तरह इस्तेमाल किया जा सकता था. लेकिन रूस के ठेकेदारों ने एक मिसाइल की कीमत आठ मिलियन डॉलर (करीब 58 करोड़ रुपये, अभी के हिसाब से) बताई. मस्क को ये पैसा बहुत ज़्यादा लगा और वो मीटिंग छोड़ के निकल लिए. उन्हें लगा कि वो खुद इससे कम पैसे में रॉकेट बना सकते हैं.

इसके बाद इलॉन मस्क की कहानी उनकी बनाई कंपनियां बयां करती हैं.